आत्मा का रहस्य
हमारे शरीर में आत्मा वह केंद्र है जिसे शक्ति भी कहते हैं। उसके अप्रकट रहने का कारण है कि हमारा शरीर उसके केंद्र से संपर्क नहीं रखता जहाँ से सब कुछ सनातन काल से संचालित हो रहा है। वस्तुतः जीवन धारा के प्रतिकूल प्रवाह से उस केंद्र में निष्क्रियता बनी रहती है। जबकि आवश्यक है कि वह विशिष्ट शक्ति शरीर के सभी अंगो तक पहुँचे।
यदि वह एक अंग पर भी नहीं पहुँचती तो वह अंग बेकार हो जाता है। इसलिए मनुष्य द्वारा प्रयत्न यह किया जाना चाहिए कि उसके सभी अंग सुपुष्ट रह सकें। उसके अंदर सर्वशक्तिमान परमात्मा की समस्त शक्तियों का समग्रता व परिपूर्णता से संचार हो सके।
इसके लिए हमें उसके प्रकाश को पहचानना होगा, जहाँ सत्य का अपने बुनियादी स्वरूप में निवास रहता है। उसी प्रकाश को जानने से हम परमात्मा को जान सकते हैं। उसको जाने बिना मोक्ष का द्वार कभी नहीं खुल सकता। उसे समझे बिना हम उस आनंद को नहीं समझ सकते, उस आनंद को वाणी के द्वारा अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता।
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